Giloy Plant
गिलोय (टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया) की एक बहुवर्षिय लता होती है। इसके पत्ते पान के पत्ते कि तरह होते हैं। आयुर्वेद मे इसको कई नामो से जाना जाता है जैसे अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा,चक्रांगी, आदि। गिलोय इतनी गुणकारी है कि इसका नाम अमृता रखा गया है। आयुर्वेद जगत में यह बुखार की महान औषधि के रूप में मानी गई है। गिलोय की लता जंगलों, खेतों की मेड़ों, पहाड़ों की चट्टानों आदि स्थानों पर सामान्यतया कुण्डलाकार चढ़ती पाई जाती है। यह पत्तियां नीम और आम के पेड़ों के आस पास पाई जाती हैं। जिस वृक्ष को यह अपना आधार बनती है, उसके गुण भी इसमें समाहित रहते हैं । इस दृष्टि से नीम पर चढ़ी गिलोय श्रेष्ठ औषधि मानी जाती है। आप गिलोय को अपने घर के गमले में लगा कर रस्सी से उसकी लता को बांध सकते हैं। इसके बाद इसके रस का प्रयोग कर सकते हैं। गिलोय एक दवाई के रूप में जानी जाती है, जिसका रस पीने से शरीर के अनेको कष्ट और बीमारियां दूर हो जाती हैं। अब तो बाजार में गिलोय की गोलियां, सीरप, पाउडर आदि भी मिलना शुरु हो चुके हैं। गिलोय शरीर के दोषों (कफ ,वात और पित्) को संतुलित करती है और शरीर का कायाकल्प करने की क्षमता रखती है। गिलोय का उल्टी, बेहोशी, कफ, पीलिया, धातू विकार, सिफलिस, एलर्जी सहित अन्य त्वचा विकार, चर्म रोग, झाइयां, झुर्रियां, कमजोरी, गले के संक्रमण, खाँसी, छींक, विषम ज्वर नाशक, टाइफायड, मलेरिया, डेंगू, पेट कृमि, पेट के रोग, सीने में जकड़न, जोडों में दर्द, रक्त विकार, निम्न रक्तचाप, हृदय दौर्बल्य,(टीबी), लीवर, किडनी, मूत्र रोग, मधुमेह, रक्तशोधक, रोग पतिरोधक, गैस, बुढापा रोकने वाली, खांसी मिटाने वाली, भूख बढ़ाने वाली पाकृतिक औषधि के रूप में खूब प्रयोग होता है।
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